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Sanskrit subhashita with meaning। नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।

 "नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने। विक्रमार्जितसत्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता॥"

सुभाषित का अर्थ

  वन में सिंह का किसी अन्य प्राणी के द्वारा राज्याभिषेक नहीं किया जाता परंतु वह अपनी क्षमता और ताकत से ही राजपद को स्वयं ही प्राप्त कर लेता है ।

  हमें इस सुभाषित से यह बोध प्राप्त करना है कि मनुष्य अपनी क्षमता से ही अपने क्षेत्र में अपने समाज में अपने मान सम्मान पद को प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है । उनको अन्य के द्वारा अभिषेक जैसी प्रक्रिया करने की आवश्यकता होती नहीं है वह स्वयं ही अपने आप से श्रेष्ठ कर्मों से श्रेष्ठता को प्राप्त कर लेता है । 

  The lion is not coronated by anyone in the forest, but he attains the throne by his own ability and strength.

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