"वृत्तं यत्नेन संरक्षेत् वित्तमेति च याति च ।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः ।।"
भावार्थ -
'चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए धन तो आता-जाता रहता है, धन से हीन व्यक्ति हीन नहीं होता, किंतु चरित्र नष्ट हो जाने पर पूर्णतया नष्ट हो जाता है।'
We should guard our character attentively; money can come and go. If money is lost, nothing is lost but if character lost, everything is lost.